झूठे प्रमाणपत्रों से बना अध्यापक

झूठे प्रमाणपत्रों से बना अध्यापक


उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के निवासी हरिओम सिंह ने झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर अध्यापक की जॉब हासिल की. अब सेवानिवृत्त के बाद अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार की न्यायालय ने उसे सात वर्ष की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाने की सजा सुनाई है.

जानकरी के अनुसार यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ सिंदरपुर निवासी हरिओम सिंह पुत्र खुशीराम ने झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर अध्यापक की जॉब हासिल की. जिस पर सेवानिवृत्त आरोप अध्यापक हरिओम को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार की न्यायालय ने सात वर्ष का जेल और 20 हजार रुपये का जुर्माना की सजा सुनाई है.

झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर शिक्षा विभाग में अध्यापक की जॉब हासिल करने वाले सेवानिवृत्त आरोपी हरिओम सिंह के विरूद्ध जांच कर रहे अभियोजन अधिकारी अजय सिंह रावत और सीमा रानी ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ सिंदरपुर निवासी हरिओम सिंह पुत्र खुशीराम के विरूद्ध थाना थत्यूड़ में शिकायताकर्ता थत्यूड़ के क्षेत्रीय यशवीर सिंह ने 15 अगस्त, 2018 को मामला दर्ज करवाया था. जिसकी जांच में पाया गया कि सेवानिवृत प्रधानाध्यापक अपनी प्रथम नियुक्ति शिक्षा विभाग में दिए गए प्रमाण पत्रों में समानरूपता नहीं है.

आरोपी अध्यापक ने अपनी प्रथम नियुक्ति के दौरान कुछ वांधित अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किए. इसके बाद भी प्राथमिक विद्यालय सेंदूल जौनपूर टिहरी गढ़वाल में पहली नियुक्त पाई. जबकि 31 मार्च 2016 को राजकीय प्राथमिक विद्यालय डांगू जौनपूर टिहरी गढ़वाल से हरिओम सिंह सेवानिवृत भी हो गए. मुद्दे में शिक्षा विभाग ने कम्पलेन पर आरोपी अध्यापक के प्रमाण पत्रों की जांच भी करवाई.

जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने पर शिकायतकर्ता ने क्षेत्रीय थाने में मामला दर्ज करवाया. मुद्दे में अभियोजन पक्ष में जांच में फर्जी पाये गये प्रमाण पत्रों का हवाला दिया साथ ही अन्य साक्ष्य भी कोर्ट में पेश किए गए. जिसके आधार पर आरोपी अध्यापक को 7 वर्ष का जेल और 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की सजा सुनाई है.