कान्हा की नगरी में आस्था के साथ मनाया जा रहा छठ पूजा का पर्व

कान्हा की नगरी में आस्था के साथ मनाया जा रहा छठ पूजा का पर्व

लोक आस्था और सूर्य उपासना का पर्व छठ कान्हा की नगरी मथुरा में आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है. 4 दिवसीय छठ पूजा पर्व के तीसरे दिन मथुरा के यमुना घाट और रिफाइनरी नगर में अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. शाम होते ही सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रती घाटों पर पहुंच गए.

कोयला घाट पर नजर आई व्रतियों की भीड़

मथुरा के टाउन शिप क्षेत्र स्थित कोयला घाट पर भारतीय सांस्कृतिक समाज के द्वारा छठ पूजा का आयोजन बड़े धूम धाम से मनाया गया. यहां बड़ी संख्या में व्रती महिलाएं शाम होते ही अपने परिवार के साथ पहुंच गईं. यमुना में खड़े हो कर भगवान मीडिया की आराधना की और फिर उनको अर्घ्य दिया गया. इससे पहले घाट पर विधि विधान से पूजन अर्चन किया.

कोयला घाट पर भारतीय सांस्कृतिक समाज के द्वारा छठ पूजा का आयोजन बड़े धूम धाम से मनाया गया

चार दिवसीय पर्व है छठ पूजा

लोक आस्था के महा-पर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की तैयारी की जाती है. यह पर्व सभी के लिए एक रेट और विश्वास रखता है. जिस तरह सूरज की रोशनी किसी के साथ कोई भेद-भाव नहीं रखती. पहले दिन नहाय-खाय,दूसरे दिन खरना खीर का प्रसाद, तीसरे दिन पहला अर्घ्य डूबते सूर्य को नमन ,चौथे और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ यह महा पर्व समापन होता है. इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत इसकी पूजा विधि में उपयोग होने वाली सामग्रीहै. दूध, चावल,गेहूं सूप,फल-फूल,दीया-बत्ती, नारियल,इत्यादि मानव श्रम के रिज़ल्ट के विविध रुप हैं जो इस सूर्य की उपासना में संकलित हैं. ऐसी मान्यता है कि दूसरे अनुष्ठानों की तरह इसमें किसी ब्राह्मण अथवा पंडित की जरूरत नहीं होती,सब कुछ व्रती व्रत रखने वाले ही करते हैं. इसमें मंत्र उच्चारण की स्थान छठी मईया एवं सूर्य देव को समर्पित विशेष रुप से गाए जाने वाले गीत शामिल हैं.छठ पूजा पर्व पर अस्त सूर्य को अर्घ्य देने यमुना घाट पर पहुंची व्रती महिला

बिना अन्न जल ग्रहण करते हैं आराधना

छठ पूजा व्रत को रखने वाले बिना अन्न-जल ग्रहण किए सारा अनुष्ठान करते हैं. इस पूजा के लिए लोग निस्वार्थ रेट से प्रबंध करते हैं तथा असमर्थ लोगों को पूजा सामग्री दान करतें हैं. भारतीय सांस्कृतिक समाज के मीडिया प्रभारी शशी भूषण दुबे ने बताया कि इस पर्व में घर के सभी सदस्य जो जॉब और व्यवसाय को लेकर विभिन्न जगहों पर बिखरे होते हैं विशेष रुप से घर आते हैं जिससे परिवार की कड़ी मजबूत होती है. परिजनों के साथ इस पर्व में शामिल होने की खुशी उन्हें खींच लाती है. व्रती सुमन दुबे और अनीता पाठक ने बताया कि छठी माता का ब्रत संतान प्राप्ति के लिये,अपने सुहाग की रक्षा और घर मे सुख शान्ति के लिए होता हैयमुना में खड़े हो कर आरधना करतीं व्रती महिलाएं

रिफायनरी नगर में दिया गया अस्तांचाल सूर्य को अर्घ्य

मथुरा के रिफायनरी नगर में भी छठ पूजा पर्व का आयोजन किया गया है. यहां के नगर चौपाल में करीब 50 से अधिक परिवार के लोग एकत्रित हुए और उन्होंने तालाब में खड़े हो कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया. व्रत के दौरान स्त्रियों में उत्साह देखने लायक था. व्रती सुप्रिया सिन्हा ने बताया कि यह सबसे बड़ा पर्व है बिहार और पूर्वांचल का. इस पर्व पर व्रत रखने की शक्ति छठी मैया देती हैं कब व्रत पूरा हो जाता है पता ही नहीं चलता.रिफाइनरी नगर में अस्त सूर्य को अर्घ्य देती महिलाएं

छठ पूजा के लिए रिफायनरी नगर में किए गए खास इंतजाम

छठ पूजा पर्व को लेकर रिफाइनरी नगर में खास व्यवस्था किए गए. यहां के नगर चौपाल में एक तालाब बनाया गया जिसमें टैंट लगाकर व्रतियों के द्वारा जल में खड़े हो कर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इस कार्यक्रम में अधिकतर रिफाइनरी के अधिकारी और उनके परिवार के लोग थे. भारतीय सांस्कृतिक समाज ट्रस्ट के पदाधिकारी जी के श्रीवास्तव ने बताया कि यह बहुत ही मुश्किल पर्व है और इसे मुश्किल तपस्या से पूरा किया जाता है. मथुरा रिफाइनरी नगर में पिछले कई सालों से यह पर्व बड़ी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.

वृंदावन के घाटों पर भी नजर आए व्रती

छठ पूजा पर्व के अवसर पर वृंदावन के घाटों पर भी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया. यहां भी लोक आस्था के इस पर्व पर व्रत रह रहीं महिलाएं अस्तांचल सूर्य को अर्घ्य देती नजर आईं. यमुना घाटों पर नगर निगम द्वारा बैरिकेडिंग की गई