गंगा घाट पर उमड़ा आस्था का सैलाब रोशनी से जगमग हुए सड़क और घाट

छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इस दौरान सड़क से लेकर छठ घाट तक आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा. हर काेई भगवान मीडिया को अर्घ्य देने को लालायित नजर आया. इस मौके पर ड्रोन कैमरे की नजर से पटना के छठ घाटों का यह नजारा और भी अद्भुत दिखा.
130 मीटर यानी 426 फीट की ऊंचाई से रोशनी से जगमग छठ घाट और सजे घर काफी सुन्दर दिखे. भगवान सूर्य को अर्घ्य देते व्रती और घाट की सुंदर लाइटनिंग दृश्य को काफी मनोरम बना रहे थे. सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ का पावन पर्व समापन हो जाएगा.
रविवार की शाम को बांस की टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया गया. इसके बाद व्रतियों ने अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया. लाखों की तादाद में लोग दीघा घाट, काली घाट पर उमड़े. सड़क से लेकर शहर तक दीपावली से भी अधिक रंग-बिरंगी रोशनी बिखरी है. इतनी ऊंचाई से अर्घ्य में टिमटिमाते दीये सुंदरता में चार चांद लगा रहे थे.वहीं, NDRF और SDRF की टीम सुरक्षा के मद्देनजर गश्ती करती रही. गंगा नदी में स्नान करने के बाद व्रतियों ने सूर्य को एक साथ अर्घ्य दिया. कोविड-19 काल के दो वर्ष बाद छठ घाट का दृश्य काफी खूबसूरत नजर आया.130 मीटर की ऊंचाई से छठ महापर्व पर पटना का मनोरम नजारा.
व्रत करने वाली स्त्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से सभी व्यवस्था किए गए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से पटना में 131 वाच टावर, 4500 पुलिसकर्मी, 499 दंडाधिकारी को नियुक्त किया गया है. प्रशासन की तरफ से इस वर्ष पटना के गंगा नदी के जलस्तर को देखते हुए 17 घाटों को घातक घोषित किया गया है.सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ का पावन पर्व समापन हो जाएगा.
36 घंटे निर्जला रहना पड़ता है व्रती को
छठ व्रत में न कोई मंदिर की आवश्यकता न मंत्र की, न जाप की न ही किसी कर्मकांड की. आवश्यकता है तो बस पूर्ण सरेंडर की. यह एकमात्र व्रत है, जिसमें 36 घंटे निर्जला रहना पड़ता है. जहां छठ वही धाम और हर व्रत करने वाली स्त्री छठी मईया. 4 दिन के इस महापर्व को अब पूरी दुनिया में लोग करने लगे हैं